J.S.K ; Janaki V/s State Of Kerala एक दमदार मलयालम कोर्टरूम ड्रामा है। जानें इसकी पूरी कहानी, विवाद, समीक्षाएं और ओटीटी रिलीज़ की जानकारी।

परिचय
2025 में रिलीज़ हुई जेएसके: जनकी बनाम स्टेट ऑफ़ केरल (JSK) मलयालम फिल्म इंडस्ट्री की उन फिल्मों में से है, जिसने अपने रिलीज़ से पहले ही सुर्खियां बटोर ली थीं। एक ओर यह फिल्म एक संवेदनशील सामाजिक मुद्दे को उठाती है, तो दूसरी ओर सेंसर बोर्ड के साथ हुए विवाद ने इसे और चर्चित बना दिया।
फिल्म के निर्देशक प्रवीण नारायणन ने इसे एक लीगल थ्रिलर और कोर्टरूम ड्रामा के रूप में प्रस्तुत किया है, जिसमें भावनात्मक गहराई के साथ-साथ कानून, नैतिकता और इंसाफ की जटिलताएं भी दिखाई गई हैं।
फिल्म की मूल जानकारी
श्रेणी | विवरण |
---|---|
शैली | लीगल थ्रिलर / कोर्टरूम ड्रामा |
निर्देशक | प्रवीण नारायणन |
निर्माता | जे. फणिन्द्र कुमार (कॉस्मॉस एंटरटेनमेंट्स) |
मुख्य कलाकार | सुरेश गोपी, अनुपमा परमेश्वरन, श्रुति रामचंद्रन, मधव सुरेश, दिव्या पिल्लई, आसकर अली, बैजू संथोष |
संगीत | गिरीश नारायणन (गीत), घिब्रान (बैकग्राउंड स्कोर) |
रिलीज़ डेट | थियेटर: 17 जुलाई 2025 |
ओटीटी रिलीज़ | 15 अगस्त 2025 (ZEE5 – मलयालम, तमिल, कन्नड़, हिंदी) |
सिनेमैटोग्राफी | रेनादिवे |
एडिटिंग | समजीत मोहम्मद |
कहानी का सार ( J.S.K ; Janaki V/s State Of Kerala)
फिल्म की कहानी जनकी विद्याधरन (अनुपमा परमेश्वरन) से शुरू होती है, जो बेंगलुरु में एक आईटी प्रोफेशनल है। वह अपने परिवार से मिलने और कुछ समय के लिए आराम करने के लिए केरल आती है। लेकिन एक हादसा उसकी जिंदगी हमेशा के लिए बदल देता है — वह एक यौन हमले की शिकार हो जाती है।
इस घटना के बाद जनकी मानसिक और शारीरिक रूप से टूट जाती है। मामले की सुनवाई के लिए अदालत में एक अनुभवी और मशहूर वकील डेविड एबेल डोनोवन (सुरेश गोपी) आरोपी का बचाव करने के लिए सामने आते हैं। यहां से शुरू होता है अदालत का संघर्ष, जहां कानून के पन्नों के साथ-साथ नैतिकता और संवेदनशीलता की भी परीक्षा होती है।
फिल्म दर्शाती है कि कैसे न्याय की प्रक्रिया में कई बार पीड़ित की तकलीफें और भावनाएं कानूनी दलीलों के पीछे दब जाती हैं।

पात्र और अभिनय
- अनुपमा परमेश्वरन (जनकी विद्याधरन): उन्होंने बेहद संवेदनशील और सशक्त प्रदर्शन किया है। उनके चेहरे के भाव और संवाद अदायगी दर्शकों के दिल में उतर जाते हैं।
- सुरेश गोपी (डेविड एबेल डोनोवन): एक करिश्माई वकील के रूप में उनका प्रदर्शन शानदार है। कोर्टरूम में उनकी मौजूदगी प्रभावशाली है।
- सपोर्टिंग कास्ट: श्रुति रामचंद्रन, मधव सुरेश, दिव्या पिल्लई और बैजू संथोष ने अपनी भूमिकाओं में अच्छा काम किया है, जिससे कहानी को मजबूती मिलती है।
फिल्म की खूबियां
- सशक्त विषय-वस्तु: फिल्म एक बेहद संवेदनशील सामाजिक मुद्दे को उठाती है और उसे गंभीरता से पेश करती है।
- भावनात्मक जुड़ाव: कई दृश्यों में दर्शक खुद को पीड़ित के स्थान पर महसूस करते हैं।
- अभिनय की ताकत: अनुपमा और सुरेश गोपी का प्रदर्शन फिल्म की सबसे बड़ी यूएसपी है।
- कोर्टरूम सीन्स: स्क्रिप्ट और डायलॉग्स दर्शकों को सोचने पर मजबूर करते हैं।
फिल्म की कमजोरियां

- स्टार पावर हावी होना: कुछ जगहों पर कहानी का फोकस मुद्दे से हटकर हीरो की इमेज बिल्डिंग पर चला जाता है।
- गति में असमानता: फिल्म के बीच के हिस्से में कहानी धीमी पड़ जाती है।
- कुछ अनावश्यक उपकथाएं: जो मुख्य कहानी को कमजोर करती हैं।
विवाद और सेंसर बोर्ड मामला
फिल्म का असली विवाद इसके शीर्षक को लेकर था। “जनकी” शब्द के इस्तेमाल पर सेंसर बोर्ड ने आपत्ति जताई, यह कहते हुए कि देवी सीता का नाम एक पीड़ित किरदार को नहीं दिया जा सकता।
यह मामला केरल हाई कोर्ट तक पहुंचा, जहां अदालत ने सेंसर बोर्ड को फटकार लगाई और तर्क दिया कि पहले भी फिल्मों में धार्मिक नामों का इस्तेमाल हुआ है, जैसे सीता और गीता या राम लखन।
आखिरकार, निर्माताओं ने फिल्म का शीर्षक जनकी बनाम स्टेट ऑफ़ केरल कर दिया और दो सीन में “जनकी” शब्द को म्यूट किया गया, जिसके बाद फिल्म को सर्टिफिकेट मिला।
समीक्षाएं और प्रतिक्रिया (J.S.K ; Janaki V/s State Of Kerala)
- इंडिया टुडे: विषय और अभिनय की तारीफ, लेकिन कहानी की गति पर सवाल।
- द न्यूज़ मिनट: “सुपरस्टार सिंड्रोम” से प्रभावित पटकथा।
- इंडियन एक्सप्रेस: 2.5/5 – अच्छा मुद्दा लेकिन प्रस्तुति औसत।
- मथृभूमि: भावनात्मक और राजनीतिक पृष्ठभूमि को सराहा।
ओटीटी पर उपलब्धता
15 अगस्त 2025 से जेएसके: जनकी बनाम स्टेट ऑफ़ केरल ZEE5 पर उपलब्ध है। यह मलयालम, तमिल, कन्नड़ और हिंदी भाषाओं में अंग्रेज़ी सबटाइटल्स के साथ स्ट्रीम हो रही है।

निष्कर्ष (J.S.K ; Janaki V/s State Of Kerala)
जेएसके एक साहसिक प्रयास है जो संवेदनशील विषय पर बात करता है। इसमें दमदार अभिनय, प्रभावशाली कोर्टरूम ड्रामा और सामाजिक संदेश है। हालांकि, इसकी धीमी गति और कुछ अनावश्यक दृश्यों के कारण इसका असर थोड़ा कम हो जाता है।
अगर आपको सामाजिक मुद्दों पर आधारित और कोर्टरूम ड्रामा वाली फिल्में पसंद हैं, तो यह फिल्म देखने लायक है।
रेटिंग: ⭐⭐⭐☆ (3/5)
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